जल संचय एवं पुनर्भरण (क्या है, प्रबंधन एवं लाभ तथा हानि) way2pathshala
कक्षा (Class) :-8
विषय(Subject):- हमारा पर्यावरण (our environment)
पाठ (Chapter):- 5
पाठ नाम (Chapter name): जल संचयन एवं पुनर्भरण
प्रश्न
1. निम्नलिखित
प्रश्नों
के
उत्तर
दीजिए
(क) वर्षा
जल
पुनर्भरण
के
लाभ
बताइए?
.
उत्तर- वर्षा जल पुनर्भरण से निम्न लाभ हैं- आवश्यकतानुसार जल की प्राप्ति, जमीन के अन्दर जल मात्रा बढ़ना, नगर जल समस्या दूर होना, जल स्तर नीचे न गिरना, मिट्टी का कटाव कम होना व कृषि फसलों को हरा-भरा बनाया जा सकना आदि।
(ख) भू-जल
का
स्तर
नीचे
क्यों
गिरता
जा
रहा
है
?
उत्तर- वर्षा की कमी व जल की अधिक माँग होने के कारण भू-जल का स्तर नीचे गिरता जा रहा है।
(ग)
भू-जल
में
वृद्धि
कैसे
की
जा
सकती
है
?
उत्तर- वर्षा जल संचयन एवं पुनर्भरण से भू-जल में वृद्धि की जा सकती है।
(घ) जनसंख्या
वृद्धि
का
भू-जल
पर
क्या
प्रभाव
पड़ता
है?
उत्तर- जनसंख्या वृद्धि से भू-जल की मांग बढ़ती है, जिससे जल स्तर नीचे गिरता जाता है।
CLASS-8
पाठ-4 जल संचयन एवं पुनर्भरण (Download PDF in Hindi)
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(ङ) वर्षा जल संचयन का अभिप्राय बताइए? अथवा जल संग्रहण क्या है ?
उत्तर- वर्षा जल संग्रहण विधि से अभिप्राय है वर्षा के जल को एकत्र करके कुओं, तालाबों और न आदि को फिर से भरकर पानी की समस्या दूर करना।
(च) जल
का
आपके
जीवन
में
क्या
महत्त्व
है?
उत्तर-हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। जल पीने के लिए. सिंचाई के लिए, सफाई लिए व उद्योग धंधों आदि कार्यों के लिए आवश्यक है। हम इस तरह वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है को समझ सकते है।
(छ) वर्षा
जल
का
संचयन
एवं
पुनर्भरण
क्यों
आवश्यक
है
?
उत्तर-वर्षा जल का संचयन एवं पुनर्भरण भू-जल आपूर्ति और भू-सतही जल द्वारा सभा का लिए जल उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक है।
(ज) अपने
घर
की
छत
के
वर्षा
जल
का
संचयन
कैसे
करेंगे
?
उत्तर-घर से थोड़ी
दूर पर 2 से 3 मीटर गहरा गड्ढा खोदकर, गड्ढे को ईंट, कंकड़
और बजरी से भर देते
है।फिर उसके ऊपर मोटी रेत
डालते हैं। इस गड्ढे में
छत पर गिरने वाले
वर्षा के स्वच्छ जल
को इकट्ठा करते है।
प्रश्न
2 रिक्त
स्थानों
की
पूर्ति
कीजिए-
- समुद्र का जल खारा होने के कारण पीने योग्य नहीं होता है।
- भ-जल एव भू-सतही जल प्रकृति द्वारा कम मात्रा में प्राप्त है।
- तालाब, पाखर आदि जल संचयन के प्राचीन साधन रहे हैं।
- भू -जल में वृद्धि जल संचयन करके कर सकते हैं।
- शहरों में पक्के मकानों के कारण वर्षा जल भूमि के अन्दर कम प्रवेश हाता है
- उन्नत किस्म के धान एवं गेहूं की फसल उगाने के लिए अधिक सिंचाई का आवरण होती है।
- भारत की जलनीति वर्ष 1987 में बनाई गई थी।
- राष्ट्रीय जलनीति में जल को दुर्लभ एवं बहुमूल्य राष्ट्रीय संसाधन के रूप में माना गया है ।
S.N. |
खण्ड (क) |
S.N. |
खण्ड (ख) |
1 |
|
A |
|
2 |
|
B |
|
3 |
|
C |
|
4 |
|
D |
|
उत्तर 1-C, 2-D, 3-B, 4-A
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